۱۵ مهر ۱۴۰۳ |۲ ربیع‌الثانی ۱۴۴۶ | Oct 6, 2024
रहबर

हौज़ा/हज़रत आयतुल्लाहिल उज़्मा सैय्यद अली ख़ामनेई ने कहां,अगर हम इस्लाम को, इमाम ख़ुमैनी द्वारा परिचित कराए गए अर्थ में यानी उसी सही, ख़ालिस और सिद्धांतों व दृष्टिकोणों पर आधारित अर्थ में व्यवहारिक बना दें तो ये हर मुश्किल को हल कर देगा, जैसा कि हम जिस मैदान में भी आए, बचाव किया, आग्रह किया तो उसका फ़ायदा हुआ

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,हज़रत आयतुल्लाहिल उज़्मा सैय्यद अली ख़ामनेई ने कहां,इस्लामी गणराज्य, यानी एक नया और कुछ ही पहले गठित होने वाला गवर्निंग सिस्टम जो दुनिया में पाए जाने वाले किसी भी सिस्टम से मिलता-जुलता नहीं है लेकिन एक सिस्टम के लिए जिन सभी सकारात्मक और रचनात्मक ख़ासियतों की कल्पना की जा सकती है,

वो इस्लामी गणराज्य में हैं, इस्लाम है, जनता के वोट हैं, लोगों का ईमान है, इज़्ज़त और सरबुलंदी का एहसास है, बंदगी है, इस्लामी क़ानून और नियम हैं, जो इंसान की ज़िंदगी को दोबारा ज़िंदा करने वाले हैं।


जी हां! अगर हम इस्लाम को, इमाम ख़ुमैनी द्वारा परिचित कराए गए अर्थ में यानी उसी सही, ख़ालिस और सिद्धांतों व दृष्टिकोणों पर आधारित अर्थ में - व्यवहारिक बना दें तो ये हर मुश्किल को हल कर देगा, जैसा कि हम जिस मैदान में भी आए, बचाव किया, आग्रह किया तो उसका फ़ायदा हुआ।
यह इस्लाम, शासन व्यवस्था में कामयाब रहा, कल्चरल मामलों में दुश्मन से मुक़ाबले में कामयाब रहा। हमारा देश और हमारी क़ौम हमेशा, पश्चिमी कल्चर के जाल में फंसी रही थी लेकिन इमाम ख़ुमैनी के क़दम की बरकत से ये मामला दोतरफ़ा हो गया, हमारे केंद्र से यानी इस्लामी समाज की तरफ़ से भी एक सांस्कृतिक लहर बाहर की तरफ़ और दुनिया के दूसरे देशों तक जाने लगी।

इमाम ख़ामेनेई,

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